नमस्कार साथियों,
आप ने निश्चित रूप से नट, बंजारा, मदारी, सपेरा लोगों को अपने बचपन में देखा होगा। अब भी शहर के भीड़- भाड़ वाले इलाके, सड़कों के किनारे कभी कभार दिख जाते होंगें। पर इनकी संख्या पहले से काफी कम हो गई। हमने कभी सोचा भी नही होगा ये कहां चले गए। ज्यादातर हम इन्हें करतब दिखाने वाले भिखारी समझ बैठे हैं। दुनिया के कई देश में इन्ही तरह के जन्मजात जिम्नास्ट और कलाकारों के दम पर कई ओलंपिक पदक भी जीते गए पर भारत मे न केवल इनकी अनदेखी हुई बल्कि इनके अस्तित्व को खत्म हो जाने वाले नियम कानून बन गए। इन स्वतंत्रता सेनानी जातियों को अंग्रेजों ने जन्मजात अपराधी तक घोसित कर दिए।
आप सभी लास्ट बहरूपिया फ़िल्म जरूर देखिये जो लगभग 10 मिनट की मूक फ़िल्म है और कई सारे अवार्ड जीत चुकी है
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